तेजस्वी यादव के बारे में सुना है कि बिहार में प्रचार के दौरान वह एक दिन में अधिकतम 19 रैलियाँ कर रहे हैं। एक नामी पत्रकार ने बताया है कि उनका हेलीकॉप्टर जहाँ रुकता है वहाँ से फर्राटा दौड़ लगाकर मंच पर जाते हैं। 10-15 मिनट भाषण देते हैं और मंच से फर्राटा दौड़ते हुए फिर अपने हेलीकॉप्टर में बैठकर अगली सभा के लिए चले जाते हैं। दौड़कर मंच से आना जाना शायद भारतीय राजनीति में पहली बार हो रहा है। यह बिल्कुल नया है। हमेशा जनता ने कुछ नए का स्वागत बड़ी गर्मजोशी से किया है। तेजस्वी यादव के बारे में सुना है कि बिहार में प्रचार के दौरान वह एक दिन में अधिकतम 19 रैलियाँ कर रहे हैं। एक नामी पत्रकार ने बताया है कि उनका हेलीकॉप्टर जहाँ रुकता है वहाँ से फर्राटा दौड़ लगाकर मंच पर जाते हैं। 10-15 मिनट भाषण देते हैं और मंच से फर्राटा दौड़ते हुए फिर अपने हेलीकॉप्टर में बैठकर अगली सभा के लिए चले जाते हैं। दौड़कर मंच से आना जाना शायद भारतीय राजनीति में पहली बार हो रहा है। यह बिल्कुल नया है। हमेशा जनता ने कुछ नए का स्वागत बड़ी गर्मजोशी से किया है।
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मानो या न मानो मगर 31 साल के इस युवा नेता का यह अंदाज़ देश प्रदेश के युवाओं को जगाते हुए यह सन्देश दे रहा है कि गर्म खून में निहित ऊर्जा के साथ वह कुछ भी कर सकते हैं। युवाओं को यह बड़ा आकर्षित कर रहा है। तेजस्वी के भाषण बड़े ओजस्वी होते हैं। उनमें व्यंग, गंभीरता और गुस्सा सबकुछ विद्यमान है। इस युवा नेता ने कईयों की नींदें उड़ा दी हैं।
गौरतलब है कि तेजस्वी नवीं फेल हैं। बिहार के मुख्यमंत्री रहे दंपत्ति की संतान जिसे कोई भी यूनिवर्सिटी स्नातक की डिग्री हँसकर घर पहुँचा सकती थी, उसके बाद भी तेजस्वी ने खुद पर नवीं फेल होने का ठप्पा स्वीकार किया है। लड़का क्रिकेट खेलना चाहता था। इस बात पर तेजस्वी के हर आलोचक को विचार करना चाहिए।
तेजस्वी के बारे में एक अफवाह यह भी है कि उन्हें किसी यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि दी है। जो सरासर गलत है।
नोट :- यह लेखक के अपने विचार हैं । matdaan.com इस पर कोई राय व्यक्त नहीं करता है
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