भारत में बेरोजगारी की समस्या: शहरी दर और ग्रामीण दर
यह तथ्य पढ़ने के बाद एक अंदाज लगाया जा सकता है की भारत में बेरोजगारी की समस्या एक भयानक स्तर पर जा रही है। यह बेरोजगारी एक आम आदमी पर जितना प्रभाव डालता है, उतना ही इस देश की अर्थव्यवस्था पर भी ।
जनसंख्या की तीव्र वृद्धि खेती पर बोझ, कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता, दोषपूर्ण आर्थिक नियोजन, पूंजी की कमी, जाति व्यवस्था, धीमी आर्थिक वृद्धि, संयुक्त परिवार व्यवस्था, कम बचत करना, विश्वविद्यालय का विस्तार आदि बेरोजगारी के कुछ प्रमुख कारण हैं।
कोविड-19 और रोजगार की स्थिति
कोविड महामारी में रोजगार के काफी लाले पड़े हैं, व्यावसायिक कार्यों पर गहरा असर पड़ा है। जो लोग अपना खुद का व्यापार चलाते हैं उन्हे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा, कई लोगों को अपनी आमदनी रोजी रोटी का जरिया बंद भी करना पड़ा और नए जरिए ढूँढने पड़े। सारा बाजार ठप्प होने पर सिर्फ मोबाईल युक्त सुविधाएँ तथा टेक्नॉलजी की पकड़ मजबूत हुई।
जहां हजारों लोगों ने अपने रोजगार के साधन बदले वही कुछ लोगों ने टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके उसे बढ़ाया भी। पर यह वही लोग थे जिन्हे इस बारे में ज्ञान था या समझने का सामर्थ्य था। यह बिन्दु हमारे देश के साक्षरता स्तर की तरफ ध्यान आकर्षित करता है।
बढ़ती प्रौद्योगिकी लेकिन स्थिर ग्रामीण साक्षरता दर: ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर और शहरी साक्षरता दर
साक्षरता दर : एक ऐसा स्तर जिसमे किसी दिए गए आयु वर्ग का जनसंख्या प्रतिशत जो पढ़ और लिख सकती है।
भारत का साक्षरता दर 74.04% है। शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 84.98% है और ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 68.91% है।
बढ़ती हुई प्रौद्योगिकता विकास दर्शाती है। पर यह विकास सिर्फ शहरी इलाकों में हो रहा है। आज सबके हाथ में फोन हैं, सबके पास इंटरनेट की सुविधा है पर उसका सही इस्तेमाल, जरूरी इस्तेमाल साक्षरता से संभव है।
शहरी क्षेत्रों में लोग इसका पूर्ण लाभ उठा रहे हैं, पर ग्रामीनी क्षेत्रों में इसका फायदा अभी प्रचारित नहीं हुआ है।
विश्वविद्यालयों का विस्तार और श्रम की गतिहीनता
ग्रामीनी क्षेत्रों में लोग साक्षरता को लेकर सजग हुए हैं पर उनकी संख्या कम है, लेकिन जो चंद लोग वहाँ शिक्षा ले रहे हैं, उन्हे काम पर रखा नहीं जा सकता क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी होती है जिससे वहाँ प्राचार्यों की कमी होती और जो पढ़ाई होती है वो उच्च स्तरीय या सम्पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।
जिसकी वजह से न केवल वह बेरोजगार होते हैं बल्कि एक बेहतर इंसान बनने से भी वंचित रह जाते हैं ।
शिक्षित ग्रामीण बेरोजगारी एक ऐसा खोट है, जिसमे व्यक्ति काम करने को तत्पर होता है पर उसके पास वो जरूरी प्रशिक्षण, कौशल और क्षमता नहीं होती जो उसे एक बेहतर जीविका दे सके ।
कुछ लोगों में ये सब होते हुए भी वह बेरोजगार होते हैं क्योंकि उनके पास अपना कौशल प्रदर्शन करने के बेहतर मौके नहीं होते और श्रम के मुकाबले पर्याप्त वेतन भी नहीं मिलता की उनके पूरे परिवार का निर्वाह हो सके, कई लोग शहरी सुयोग का रुख कर लेते हैं, पर कुछ लोग अपने परिवार से जुड़े रहना पसंद करते हैं, अपनी जमीन से जुड़े रहना पसंद करते हैं , जिसके कारण वह अपने गाँव छोड़ कर बाहर नहीं जाना चाहते।
ग्रामीण बेरोजगारी के लिए राजनीति और चुनाव अभियान प्रबंधन एक अच्छा आय समर्थन कैसे हो सकता है?
इलेक्शन/चुनाव अभियान प्रबंधन कार्य का संबंध चुनाव में होने वाली गतिविधियों से होता है।
अपने गाँव से दूरी
परिवार का ध्यान ना रख पाना
यह कुछ ऐसे बिन्दु हैं जिनकी वजह से लोग पलायन नहीं करना चाहते और रोजगार के साधन ढूंढते रहते हैं। उनके लिए चुनाव प्रबंधन एक कारगार उपाय हो सकता है।
चुनाव प्रबंधन में होने वाले फायदे:-
अपने घर, स्थान, गाँव में रहकर काम करने का अवसर
दूसरों में, अपने गाँव में रहकर काम करने के प्रति जागरूकता व विश्वास पैदा कर पाना
एक संगठन के साथ काम करना
एक नेटवर्क बना लेना
किसी भी चीज़ को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण क्यों ज़रूरी है?
प्रशिक्षण हर क्षमता की नीव है, किसी भी क्षेत्र में पारंगत होने के लिए आपको प्रशिक्षण की जरूरत होती है।
उत्पादकता और प्रदर्शन में वृद्धि
कार्य प्रक्रियाओं की एकरूपता
कम पर्यवेक्षण
संगठनात्मक संरचना में सुधार
मनोबल बढ़ना
नीतियों और लक्ष्यों का बेहतर ज्ञान
मतदान की ओर से नि:शुल्क प्रशिक्षण
मतदान डॉट कॉम इस तरह की निशुल्क ट्रैनिंग देता है अथवा लोगों को ऊपर आने की प्रेरणा देता है, उन्हे अपने हालत सुधारने का मौका दे रहा है और इस देश के ग्रामीण युवा को सशक्त करने का बीड उठा रहा है। इस ट्रैनिंग में आपको इलेक्शन प्रबंधन और उससे जुड़ी सारी समस्याओं के बारे में बताया जाएगा और आपके काम के लए जरूरी कौशल बढ़ाया जाएगा और एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जिससे आप कसीस भी जगह इलेक्शन प्रबंधन या उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए नियोजनीय बन जाएंगे।
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