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नहीं रहे गाँधी परिवार और काँग्रेस के संकट मोचक अहमद पटेल

Updated: Jan 5, 2021


अहमद पटेल जी

गुजरात के भरूच से 1977 में अपने राजनीतिक जीवन की यात्रा प्रारंभ करने वाले अहमद पटेल ने आज अंतिम साँस ली । अहमद पटेल 1977 से अब तक तीन बार लोकसभा और 5 बार राज्यसभा सांसद के रूप में काँग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।काँग्रेस में संगठन से ले कर सरकारों तक में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई या यूँ कहें की काँग्रेस के संकट मोचक के तौर पर उनकी पहचान इन्हीं जिम्मदारियों को सफलता पूर्वक निर्वाहन के फलस्वरूप मिली ।गाँधी परिवार के लिए यह अपूरणीय क्षति है , सोनिया गाँधी से ले कर राहुल गाँधी एवं प्रियंका गाँधी भी बिना उनके सलाह-मशविरा किए बगैर कोई कार्य नहीं करते थे । उनकी गाँधी परिवार के प्रति वफादारी के किस्से जग-जाहिर हैं। यूपीए के शासनकाल में सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनाने का महत्वपूर्ण कार्य अहमद पटेल साहब के सिवाय किसी के बस की बात नहीं थी। काँग्रेस के बड़े नेताओं से उनकी घनिष्ठता उनके नियन्त्रण को और भी प्रभावशाली बनाती रही । सांसद रहते हुए वो कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे और कई महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में उनका योगदान सराहनीय रहा।काँग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहते हुए अहमद जी ने आर्थिक प्रबंधन की कुशलता दिखाई और पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया । 2017 के राज्यसभा चुनावों में भाजपा के बलवंत सिंह को हराकर उन्होंने अपनी रणनीतिक का लोहा राजनीतिक जमात में मनवा लिया था, जिसके चलते अन्य दलों के नेता भी उनकी इस कुशलता की खुलकर प्रशंसा करते रहे हैं । काँग्रेस के खराब समय में भी वह गाँधी परिवार के अटूट वफादार रहे और अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल कर गाँधी परिवार को सहारा दिया। सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार की जिम्मेदारी निभाते समय यह चर्चा खूब होती थी कि अहमद पटेल ही सारे निर्णय लेते हैं । अहमद पटेल का यूँ अचानक चले जाना गाँधी परिवार के लिए सदमे से कम नही है , काँग्रेस के लिए भी यह अपूरणीय क्षति है , क्योंकि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए भाजपा के धनबल और कूटनीति का जवाब देने में सक्षम नेता अभी काँग्रेस में अहमद पटेल के मुकाबले कोई और नजर नहीं आ रहा.. भारतीय राजनीति का एक बेशकीमती हीरा कम हो गया ..... अल्लाह अहमद साहब को जन्नत अता फरमाए । हिमान्शु कुलश्रेष्ठगुजरात के भरूच से 1977 में अपने राजनीतिक जीवन की यात्रा प्रारंभ करने वाले अहमद पटेल ने आज अंतिम साँस ली । अहमद पटेल 1977 से अब तक तीन बार लोकसभा और 5 बार राज्यसभा सांसद के रूप में काँग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।काँग्रेस में संगठन से ले कर सरकारों तक में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई या यूँ कहें की काँग्रेस के संकट मोचक के तौर पर उनकी पहचान इन्हीं जिम्मदारियों को सफलता पूर्वक निर्वाहन के फलस्वरूप मिली ।गाँधी परिवार के लिए यह अपूरणीय क्षति है , सोनिया गाँधी से ले कर राहुल गाँधी एवं प्रियंका गाँधी भी बिना उनके सलाह-मशविरा किए बगैर कोई कार्य नहीं करते थे । उनकी गाँधी परिवार के प्रति वफादारी के किस्से जग-जाहिर हैं। यूपीए के शासनकाल में सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनाने का महत्वपूर्ण कार्य अहमद पटेल साहब के सिवाय किसी के बस की बात नहीं थी। काँग्रेस के बड़े नेताओं से उनकी घनिष्ठता उनके नियन्त्रण को और भी प्रभावशाली बनाती रही । सांसद रहते हुए वो कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे और कई महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में उनका योगदान सराहनीय रहा।काँग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहते हुए अहमद जी ने आर्थिक प्रबंधन की कुशलता दिखाई और पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया । 2017 के राज्यसभा चुनावों में भाजपा के बलवंत सिंह को हराकर उन्होंने अपनी रणनीतिक का लोहा राजनीतिक जमात में मनवा लिया था, जिसके चलते अन्य दलों के नेता भी उनकी इस कुशलता की खुलकर प्रशंसा करते रहे हैं । काँग्रेस के खराब समय में भी वह गाँधी परिवार के अटूट वफादार रहे और अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल कर गाँधी परिवार को सहारा दिया। सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार की जिम्मेदारी निभाते समय यह चर्चा खूब होती थी कि अहमद पटेल ही सारे निर्णय लेते हैं । अहमद पटेल का यूँ अचानक चले जाना गाँधी परिवार के लिए सदमे से कम नही है , काँग्रेस के लिए भी यह अपूरणीय क्षति है , क्योंकि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए भाजपा के धनबल और कूटनीति का जवाब देने में सक्षम नेता अभी काँग्रेस में अहमद पटेल के मुकाबले कोई और नजर नहीं आ रहा.. भारतीय राजनीति का एक बेशकीमती हीरा कम हो गया ..... अल्लाह अहमद साहब को जन्नत अता फरमाए ।

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