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गोदी मीडिया की उधड़ती सतह

अर्नब गोस्वामी के चैट बॉक्स पब्लिक में प्रसारित हो जाने से छिड़ी जंग में आप किसी भी साइड से लड़ रहें हों, आपको कुछ तथ्यों से सरोकार करना ही पड़ेगा।

भले ही आप इस लड़ाई को देखने वाले तमाशबीन भीड़ का हिस्सा ही क्यूँ न हों, ये घटना ठीक उस वक्त हुई है जब वट्सऐप अपनी प्राइवसी की पॉलिसी को बदलकर आपका डेटा बेचने की तैयारी कर रहा है। 


हर व्यक्ति समाज में अपना प्रभाव स्थापित करता है, तब भी जब वो सिर्फ़ नौकरी और परिवार से बाहर किसी भी क्रिया में रति भर भी योगदान न कर रहा हो। जब समाज ऐसे लोगों की जनसंख्या अधिक हो जाती है तो सत्ता के निकट विन्यास में जुड़े पूँजीपति और सामाजिक नेता और अधिक तानाशाही हो जाते हैं। पत्रकारिता इस सत्ता विन्यास का बेहद शक्तिशाली अंग है। समाज के समुचित विचार शक्ति को किसी एक विशेष दिशा में मोड़ देने की क्षमता रखने वाली पत्रकारिता जब आतताई हो जाती है तो सत्ता और समाज के बीच का ये पुल लोलूपता की मद में डूब जाता है। सत्ता अपनी मनमानी में उतारू हो जाती है और पत्रकार मनफ़ाखोरी में।जनता को बेहतर कल की आस में आने वाले मंगेरिलाल के सपने और हसीन दिखने लगते हैं। 


अर्नब गोस्वामी से आप सहमत हैं या असहमत, इस चैट को पढ़कर या उसके साथ घाटे कुछ निकट घटनाक्रम के अनुसार आप यह तो मानते हैं की वो किसी भी अन्य पत्रकार से कहीं अधिक प्रभावशाली है।वो अपने इस प्रभाव का एक विशेष नैरटिव सेट करने के लिए इस्तेमाल करता है। वो नैरटिव आम नागरिक के हित में है या नहीं, इसकी परवाह उसे नहीं होती। ऐसे कुल मिलकर पचास पत्रकार है जिनकी पाठक/व्यूस पचास लाख से अधिक हैं। ये लोग किसी भी दिशा में और किसी भी छोटी सी लालच के लिए आपके विचार, चेतना और अभिव्यक्ति से खिलवाड़ कर सकते हैं। ये खिलवाड़ किसी व्यक्तिगत मुनाफ़े के लिए किया जाए या किसी संगठित षड्यंत्र के लिए, इस सम्बंध में भारत में कोई क़ानूनी व्यवस्था नहीं है।


क्या संभव है की सूचना क्रांति की इस तकनीकी व्यवस्था में सम्प्रेषित हो रहे अरबों अरब भ्रामक खबरों को सत्यापित करने और उसमें व्याप्त नफ़रत के असर को कम करने का तरीक़ा ईजाद किया जा सके? सत्यापन की इस तकनीक में क्या कोई कमिटी बनाई जाएगी? और अगर बनाई गयी तो उस कमिटी के आदर्शों होने का सत्यापन कौन करेगा?


इसी कसौटी को निर्मित करने और इसे दक्ष करने की मुहिम है मतदान डॉट कॉम। ये प्लैट्फ़ॉर्म आप सभी को बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी प्रतिक्रिया/अभिव्यक्ति के लिए आमंत्रित करता है। ये प्लाट्फ़ोर्म फ़ीड्बैक और फ़ीडफ़ॉर्वर्ड मकेनिजम से काम करता है जिससे पीर सत्यापन प्रणाली से आपके लेख, विडीओज़ या ऑडीओ सत्यापित होते हैं। इसमें कोई कमिटी या चयन समिति नहीं है को आपके अभिव्यक्ति के अधिकार को प्रभावित करे।


सूचनायें आपकी चेतना पर असर करती हैं, इससे आपका व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार पर असर होता है। अगर आप अपने आस पास प्रसारित हो रही सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए प्रयासरत नहीं रहेंगे तो बहोत जल्द आप आपराधिक घटना के शिकार हो जाएँगे। हमारे प्रयास हम सब के हित में हैं, कृपया सहयोग करें।

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