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अब किसान राजधानी दिल्ली को किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र बनाना चाह रहे हैं।कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में पिछले डेढ़ माह से किसानों का आंदोलन तेज चल रहा था। लेकिन देशभर में आंदोलन की आवाज को और तेज करने की आवश्यकता किसानों और किसान संगठनों को महसूस हुई होगी तभी किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया। पंजाब के सभी क्षेत्रों से निकले किसानों के समूहों में भोजन सामग्री और ठंड से बचने के लिए पालीथीन आदि की व्यवस्था करके निकले है। किसानों का इरादों और तैयारियां से महसूस किया जा सकता है कि किसान पूरी ताक़त से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। सरकार द्वारा ठंडे पानी की बौछारों या बड़े पत्थर उनके इरादों को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए।अलग अलग क्षेत्रो से सैकड़ों-सैकडो ट्रेक्टर ट्रालियों के समूहों में किसानों ने दिल्ली की तरफ रुख कर लिया हैं सरकार की खराब नीतियों के खिलाफ लम्बी लड़ाई के इरादों से निकले किसानों ने महीनों के लिए, दवाइयां राशन,टेंट, तिरपाल आदि की तैयारी भी कर रखी है। जिससे आंदोलन को मजबूती से लम्बे समय तक चलाया जा सके। इरादा पक्का और साफ दिखाई दे रहा है कि जब तक ये कृषि कानून वापस नहीं होंगे, तब तक वे दिल्ली में डटे रहेंगे।किसानों के इस दिल्ली चलो आंदोलन में पंजाब और हरियाणा समेत कुल छह राज्यों के किसान शामिल हो रहे हैं।उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और केरल के किसान भी कल गुरुवार और आज दिल्ली पहुंचकर किसान कानूनों के खिलाफ विरोध मार्च करने करेंगे। किसानों के लगभग 500 संगठन इस विरोध मार्च में शामिल हैं।कल पंजाब से विरोध के लिए ट्रेक्टर और पैदल आ रहे किसानों को हरियाणा पुलिस ने अंबाला के पास रोक दिया था जिस कारण भाजपा शासित हरियाणा की पुलिस और आंदोलनकारी किसानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। अंबाला के पास किसानों और पुलिस के बीच छिटपुट झड़प की खबर भी आई कुछ समाचार चैनलों ने खबर चलाई कि इस दौरान ईंट-पत्थर भी चले।किसानों को रोकने के लिए सड़कों पर और पुल पर बैरिकेड्स लगाए थे।जिसे किसानों तोड़कर नदी में फेंक दिया। दिल्ली के बाहर से चलने वाली मेट्रो ट्रेनों को कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया। आंदोलन की गंभीर स्थितियों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारतीय रेलवे ने 41 ट्रेनों को रद्द कर दिया और 11 ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट किया है।जबकि कुछ ट्रेनों के रूट डायवर्ट किए हैं। भारतीय रेलवे ने इस किसान आंदोलन को देखते हुए यह कदम उठाया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने कोरोना वायरस संकट का हवाला देते हुए किसानों को दिल्ली में किसी भी तरह के जमावड़े और रैली करने की इजाजत नहीं दी है।
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जितेन्द्र चौरसिया
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