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25 नवम्बर की सुबह कोरोनवायरस ने कहर बरपाया 10 जनपथ के चाणक्य, कांग्रेस के संकटमोचक अहमद पटेल जी का दुखद निधन हो गया।
1976 में निकाय चुनावों से अपनी पारी की शुरुआत करने वाले अहमद पटेल जी राजनीति के सिकंदर, तेज दिमाग, कांग्रेस के लिए हर मर्ज/परेशानी की दवा के रुप में 1977 में प्रथम बार भरुच से लोकसभा सांसद बनने के बाद से अब तक सांसद बनें रहें।
1977, 1980, 1984 में भरुच लोकसभा से 3 बार लोकसभा सांसद और 1993, 1999, 2005, 2011, 2017 से 5 बार राज्यसभा सांसद रहे।
कुलमिलाकर 8 बार सांसद सदस्य और कांग्रेस के ट्रवलशूटर और गांधी परिवार के बेहद करीबी रहने के बावजूद कभी मंत्री पद नहीं स्वीकारा वो सदैव संगठन में काम करने को प्राथमिकता देते रहे। संगठन में तहसील अध्यक्ष से प्रदेश अध्यक्ष और आंगे राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष तक की भूमिका पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। कांग्रेस के हर मुश्किल दौर में अहमद पटेल जी मजबूती से खड़े रहे। जहां 1977 में कांग्रेस की बुरी हार हुई थी कुछ गिने चुने लोगों में अहमद भाई पटेल चुनाव जीतकर आए थे।
1980 में इंदिरा गांधी जी और 1984 में राजीव गांधी जी ने अहमद भाई पटेल को मंत्री बनाना चाहा परन्तु उन्होंने संगठन की प्राथमिकता देते हुए मंत्री पद नहीं लिया। संक्रांति राजनीति से अपने बच्चों को भी दो कदम दूर रखा।
कांग्रेस के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से नाम दर्ज कर चुके अहमद पटेल का योगदान देश और समाज सदियों तक याद रखेगा।
आने वाले समय में ऐसे प्रख्यात कुशल राजनीतिज्ञ की कमी भारत की राजनीति को अवश्य खलेगी।
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